चांदनी रात

चांदनी रात


खूब छिटकी है चांद की चांदनी आज
रूप सौंदर्य ऐसा जिसपे है उसको नाज़
उसे देख देख सागर उन्मादित हो रहा
बढ़ा के हाथ लहरों के छूने को बाट जोह रहा।

तारों का एक झुंड कुछ दूर बतिया रहा
शायद चांद की खूबसूरती पर रश्क खा रहा
देख कर चांद उनको मंद मंद मुस्कुरा रहा
बिखरा के शीतल चांदनी खुद पे इतरा रहा।

कुछ शैतान छोटे बड़े बादल खेल रहे एक ओर
शायद उनके मन में पक रही शरारत पुरज़ोर
घेर के चांद को, चांदनी को हम छुपाएंगे
सितारों को ले आगोश में घना अंधेरा फैलाएंगे।

मस्त पवन भी चुपके से सुन रही उनकी बात
सनन सनन बह रही, देती सर्द अहसास
उनकी इस शरारत में उसका भी बड़ा हाथ
थाम के दामन बादलों का बह रही आकाश।

नदिया की धारा कलकल बहती जा रही
स्वच्छ निर्मल जलधारा चांदनी में नहा रही
निखर निखर जाता है उसका अल्हड़ ये रूप
चांद उसका खास सखा, उसे न भाए धूप।

प्रेमी एक युगल नदिया किनारे बतिया रहे
देख चांद की चांदनी प्यार की कसम दोहरा रहे
साथ जीने और साथ मरने के उनके वादे
चांद और चांदनी को देख करते पक्के इरादे।

चांद और चांदनी का ये सुहाना सफर
रात से दिन तक गुजरते चार प्रहर
कोई चंद्रग्रहण इनको ना रोक पायेगा
है अगर प्रेम सच्चा तो मंजिल पा ही जायेगा।।

आभार – नवीन पहल – ०९.११.२०२२💕💕

# प्रतियोगिता हेतु 


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7 Comments

Gunjan Kamal

15-Nov-2022 06:13 PM

बहुत ही सुन्दर

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Pratikhya Priyadarshini

10-Nov-2022 08:27 PM

बेहतरीन 🌺🌸

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Sachin dev

10-Nov-2022 04:44 PM

Bahut khoob

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